कई बार मन चाहता कुछ और है
लेकिन फिर करता कुछ और है
अक्सर कहना चाहता कुछ और है
पर हर बार कहता कुछ और है
मन मानता नहीं लाख मना लो
मन नहीं पर करता कोई और है
लेकिन मन भटकाता कई ओर है
पर जीवन अटकता कहीं और है
मन कुछ कहे होता कुछ और है
जो नसीब में लिखा कुछ और है
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