Sunday, June 10, 2012

अनज़ाने में

वो क्या मिल बैठे लगा सब पा लिया था मैंने लगा था क़िस्मत को तलाश लिया था मैंने उसके मन में क्या था ये न कभी जाना मैंने एकतरफा ही बस दिल लगा लिया था मैंने वो तो भूल गए पर कभी न भुलाया था मैंने उसकी तस्वीर से से ही दिल लगा लिया मैंने अपना मुक़द्दर ख़ुद ही संवार लिया था मैंने उसकी आँखों में अपनी रौशनी खोकर मैंने कभी लगा ख़ुद से अनज़ान कर लिया मैंने फिर भी अनज़ाने में ख़ुद को पा लिया मैंने

3 comments:

poonam said...

dil ko chuti abhivykti

Udaya said...

:)

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर.....................

अनु