रुके हुए से वक़्त
ठहरी सी ज़िन्दगी
सब के साथ
अपलक देखते
लोगों की दृष्टि
और उनके
कौतूहल भरे
मिज़ाज़ के साथ
वक़्त के साथ
जमी बर्फ से हुए
दिमाग़ लोगों के
उनकी जड़ता के साथ
अपनी ही दृष्टि में
किंकर्तव्यविमूढ़
मेरे पूर्वाग्रहों के साथ
कभी रुकना चाहा
फिर भी रुक नहीं पाया
चलता रहा हूँ मैं
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