Monday, August 1, 2016

बस यही तो है!

यूँ तो होती रही हर रोज़
ज़िन्दगी से मुलाक़ात
लेकिन, शायद कभी
न ज़िन्दगी हमें समझ सकी
न हम ज़िन्दगी को समझे
कोशिश भी नहीं की हमने
वो भी जान-बूझकर
सुना था हमेशा हमने
ज़िन्दगी अपनी सुनती है
अपनी रफ़्तार से चलती हैं
न ये समझती है किसी को
न कोई समझा है इसे
बस जैसे मिले जीते जाओ
कोशिश अपनी करते जाओ
जो मिले खुश हो जाओ
गम हों तो संग-संग भुलाओ
तभी समझ पाओगे इसे
बस यही तो है ज़िन्दगी!


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