बचा रहा क्या दिखलाना होगा
सपने तुमने भी हमने भी देखे
जीवन का सच बतलाना होगा
जीना तुमने भी हमने भी चाहा
कुछ ज्ञान मार्ग अपनाना होगा
कितने थे मरे हैं कितने घायल
ख़बर को ऐसी भुलाना ही होगा
क्या यही प्रगति का मानक है
राष्ट्र है क्या ज़रा समझना होगा
कितने मानुष शव में हैं बदले
हासिल क्या खुद समझाना होगा
मरघट में अब है जगह नहीं
बस दिल में तुम्हें बसाना होगा
मार्ग शांति का चुन लो अब तुम
आतंकवाद झुठलाना ही होगा
शांति, ज्ञान , मानव स्वभाव है
अब प्रेम सुधा बरसाना होगा
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