Monday, August 29, 2016

एक खिड़की

बिलकुल मेरी तरह
तुम्हारी आँखें भी
एक खिड़की सी
झाँकने को बनीं
मानो तुम्हारेअंदर
और ऐसी खिड़की
कभी बंद होकर भी
देती हैं अवसर
देख पाने का
एक छोटी झिरी से
मानो आती आवाज़ें
एक नेपथ्य से
मुझे दिशा बतातीं
आगे के संवाद की

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