Sunday, September 18, 2016

जियो

जियो
जीवन ऐसे
ये इश्तेहार है
तुम्हारी ही जिन्दगी का
आज तुम यूँ नहीं जिये तो कल कैसे जी लोगे
देख लो ज़रा हर लम्हा जिन्दगी कैसे बुलाती है तुमको
आज के साये में जियो
कल का पता नहीं
कौन जान पाया
क्या होगा
कल

A 'Tretractys' poem

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