वक़्त की सीख भूल
फिर गूँजते हैं यहाँ
पुरातनपंथी से स्वर
हर हाथ के बदले हाथ
हर सर के बदले सर
ऐसी समझ से शायद
वक़्त भी हँसता होगा
नतीजों की कौन सोचे
नारों के रिवाज़ जो हैं
विकल्प और भी है कई
लेकिन गुस्सा ज़्यादा है
रियाया परेशां है वहां भी
अवाम यहाँ भी परेशां है
'आर-पार' की बात में
आर-पार लोग भ्रमित हैं
कौन नतीजा निकलेगा
इतिहास नहीं लोग देखेंगे
अब अवाम ही मिलकर
दहशतगर्दी ख़त्म करेंगे
सियासत के नाम पर
कहीं जंग नहीं होने देंगे
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