मेरी आशा प्रबल है
देती है सदैव साथ मेरा
मानो जीवन का आधार है
जब ज़िन्दगी भटकती है
एक अंधकार से निकल
दूसरे अंधकार तक
हाथ को हाथ नहीं सूझता
अपना साथ दिखाती है
जब कोई नहीं साथ मेरे
अपना हाथ बढाती है
मुझे अबोध शिशु समझ
मानो उँगली पकड़ लेती है
मेरी अभिलाषाएँ अपार हैं
आशा ही एक अकेली है
कोई और हो न हो पर ये
हर समय मेरे साथ है
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