तिनका तिनका जुटा
पक्षी के घोंसले ज्यों
एक दिन उजाड़ होते
इंसानों की फितरत भी
कुछ इसी तरह गुजरती
सब जोड़ तोड़ हासिल
ज़मीन का एक टुकड़ा
ईंटों का बना मकान
आसपास ईर्ष्यालु लोग
एकाकी वृद्धावस्था के पल
भविष्य में गुजरे वर्तमान
विगत की सोचते वर्तमान
अपनों से विलग विमुख
अंतर्मुखी एकांत के पल
विवशता के आयाम मापते
जीवन के मूल्यांकन
पक्षी के घोंसले ज्यों
एक दिन उजाड़ होते
इंसानों की फितरत भी
कुछ इसी तरह गुजरती
सब जोड़ तोड़ हासिल
ज़मीन का एक टुकड़ा
ईंटों का बना मकान
आसपास ईर्ष्यालु लोग
एकाकी वृद्धावस्था के पल
भविष्य में गुजरे वर्तमान
विगत की सोचते वर्तमान
अपनों से विलग विमुख
अंतर्मुखी एकांत के पल
विवशता के आयाम मापते
जीवन के मूल्यांकन
2 comments:
जबकि यथार्थ जीवन में यदि हम ईर्ष्या न कर उस ईंट से बने मकान में जो रह रहे हैं उनसे कुछ न कुछ लाभ ले सकते हैं अपितु वो सहायता ही करते हैं किन्तु ऐसा अक्सर नहीं होता.....
मसलन कोई ब्यक्ति कोई वस्तु अपने उपयोग के लिए खरीदता है , किन्तु इस्तेमाल भी तो अन्य कर सकते हैं , या दूसरे के कम भी तो आ सकती है .
सभी भाई बहिनों के मेरा प्रणाम
मैन कुम्मी घिल्डियाल
आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ
मैन उत्तराखण्ड में टिहरी जिले के नयी टिहरी शहर से हूँ ,
Post a Comment