Tuesday, August 14, 2012

मूल्यांकन

तिनका तिनका जुटा
पक्षी के घोंसले ज्यों
एक दिन उजाड़ होते
इंसानों की फितरत भी
कुछ इसी तरह गुजरती
सब जोड़ तोड़ हासिल
ज़मीन का एक टुकड़ा
ईंटों का बना मकान
आसपास ईर्ष्यालु लोग
एकाकी वृद्धावस्था के पल
भविष्य में गुजरे वर्तमान
विगत की सोचते वर्तमान
अपनों से विलग विमुख
अंतर्मुखी एकांत के पल
विवशता के आयाम मापते
जीवन के मूल्यांकन

2 comments:

kummy ghildiyal said...

जबकि यथार्थ जीवन में यदि हम ईर्ष्या न कर उस ईंट से बने मकान में जो रह रहे हैं उनसे कुछ न कुछ लाभ ले सकते हैं अपितु वो सहायता ही करते हैं किन्तु ऐसा अक्सर नहीं होता.....
मसलन कोई ब्यक्ति कोई वस्तु अपने उपयोग के लिए खरीदता है , किन्तु इस्तेमाल भी तो अन्य कर सकते हैं , या दूसरे के कम भी तो आ सकती है .

kummy ghildiyal said...

सभी भाई बहिनों के मेरा प्रणाम
मैन कुम्मी घिल्डियाल
आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ
मैन उत्तराखण्ड में टिहरी जिले के नयी टिहरी शहर से हूँ ,