बस इतना भी बहुत समझा मैंने
अभिभूत हुआ मैं तुम्हारे साथ से
फिर नवजीवन सा पाया है मैंने
क्षणिक सही तुम्हारे इस साथ से
सहज से सजग नाता जोड़ा मैंने
पाया तभी भरपूर तुम्हारे साथ से
बस अब का ही था बस सोचा मैंने
हर लम्हा जिया तुम्हारे साथ से
आशा प्रत्याशा सब रख अलग मैंने
जोड़ दिया यथार्थ तुम्हारे साथ से
पल पल भूल हर पल जिए मैंने
हर लम्हा जोड़ तुम्हारे साथ से
तुम्हारे जाते जाते भी बस मैंने
किया अहसास तुम्हारे साथ से
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