जाने क्यों पर शायद अब
आदत ये खास बनाती हैं
दूरियाँ मुझे भाने लगी हैं
मुझे मेरे पास ले आती हैं
मेरे करीब की दुनियाँ में
एक नई आस जगाती हैं
तुम्हारे होने का मीठा सा
मुझे अहसास कराती हैं
अक़सर हर अज़ीज़ को
ये दूरियाँ पास बुलाती हैं
मेरी अटकती साँसों में
एक नई साँस ले आती हैं
No comments:
Post a Comment