Saturday, August 18, 2012

भरोसा

अब तो तुम्हारी तारीफ़ में
कुछ भी कहने का मन नहीं
जो भी मैं कहना चाहता था
मेरे पास उसके शब्द नहीं
कहा कई लोगों ने मुझसे
इतना ऐतबार ठीक नहीं
पर मुझे तो तुम में कभी
खोट भी नज़र आया नहीं
अब लगा ज़माना सही था
मैं ही पहचान पाया नहीं
मुझे फिर भी फ़ख्र रहेगा
जब था भरोसा तोड़ा नहीं

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