अब तो तुम्हारी तारीफ़ में
कुछ भी कहने का मन नहीं
जो भी मैं कहना चाहता था
मेरे पास उसके शब्द नहीं
कहा कई लोगों ने मुझसे
इतना ऐतबार ठीक नहीं
पर मुझे तो तुम में कभी
खोट भी नज़र आया नहीं
अब लगा ज़माना सही था
मैं ही पहचान पाया नहीं
मुझे फिर भी फ़ख्र रहेगा
जब था भरोसा तोड़ा नहीं
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