सवाल ज़ेहन में था क्या यही मोहब्बत है
कोई कहता ज़ियारत तो कोई इबादत है
किसी ने समझाया ये मीठी सी शरारत है
एक शख्स ने कहा इज़हार ए शराफ़त है
हमारे लिए अपनी दोस्ती ही मोहब्बत है
शायद यही हमारी पट और यही चित है
आपसे की है दोस्ती ये हमारी क़िस्मत है
लगता है आज भी बहुत कुछ सलामत है
अब यही मोहब्बत और यही हकीकत है
हमें तो बस आपकी दोस्ती की ही लत है
No comments:
Post a Comment