इससे बढ़कर और तमन्ना क्या
अमन और सुकून की बस्ती रहे
ज़हां आबाद हो और तरक्क़ी करे
मुल्क़ के साथ अवाम भी खुश रहे
बस वही तमन्ना आज भी तो है
कि बस सुकून सदा सलामत रहे
ज़िन्दगी तो चलती रहेगी हमेशा
कोई फर्क नहीं हम रहे या न रहे
चाहे कितना भी ऊपर उठ जाए
इन्सान बस इन्सान ही बना रहे
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