जाने अनजाने आज भी बस वही बात है
ज़िन्दगी में वही जानी पहचानी बात है
उनसे बिछुड़े हुए अब ज़माना हो गया है
परछाई मगर उनकी अब भी मेरे साथ है
मत समझना तुम ये महज़ इत्तफ़ाक़ है
ये तो हमारी उनकी मोहब्बत की बात है
दूरियों में भी उनकी नज़दीकी ही साथ है
तसव्वुर सही फिर भी उन्हीं का हाथ है
उन्हें हो न हो हमें हमें हर लम्हा याद है
मेरी परछाई भी शायद उनके ही साथ है
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