Friday, May 3, 2013

बेखयाल से ख़याल /thoughtless thought

रात जो आँखों में कटी थी नींद इंतज़ार में खो गई
कौन किसे क्यों खोजता था ये हिसाब में लग गई
रफ़्ता रफ़्ता ज़ेहन में ज़ज्बातों की झड़ी लग गई
बेखयाल से ख़यालों की मानो कोई बज़्म लग गई
Night passed with open eyes when sleep lost awaiting
Who was looking for whom and why busy calculating it
One after other emotions kept knocking peace of mind
Started pouring immensely rain of thoughtless thought

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