कोई हार-जीत नहीं कराती ये दुनियाँ
हार-जीत का ज़िक्र करते हैं लोग यहाँ
सोचो तो यहाँ कोई भवसागर दुनियाँ
न सोचो तो एक छोटा सा सफ़र यहाँ
समझो तो पानी का बुलबुला दुनियाँ
न समझो तो होना सबने फ़ना है यहाँ
देखो तो बारूद के ढेर पर खड़ी दुनियाँ
न देखो तो भी हैं बस फूस के ढेर यहाँ
जानो तो रंज़-ओ-ग़म की है ये दुनियाँ
जो दिन गुज़र गए वही अच्छे हैं यहाँ
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