Wednesday, June 26, 2013

प्रलयंकारी

प्रलयंकारी है ये आपदा
और इससे जुड़े सियासी लोग
हर जीवित को अलग नाम दे
खुद का नाम उजागर किया है
मानो कोई होड़ चल रही है
अपना अपना श्रेय लेने की
हर लाश पर छपी हुई है
मुहर एक सियासत की
हर तबाह घर और लोग
बिसरा दिए गए हैं बिलकुल
सियासी कोलाहल के बीच
तीर्थयात्री की बात करना ही
सियासतदारों का महातीर्थ
न जाने कैसा सैलाब है ये
बहा ले गया संवेदनशीलता
पर दिखा रहा है पाठ फिर भी
सियासती रंगों और मंतव्य का
इन सब के बीच ऐसे भी हैं
जो निस्वार्थ निष्काम रहकर
मदद को अपना सब दे रहे हैं
मानवता के जीवित होने के
वे प्रतीक नज़र आ रहे हैं
वे ही अब हिन्दुस्तान हैं
बाक़ी दलों या प्रदेशों के हैं
पहाड़ और बाशिंदे ज़र्ज़र हैं
और हाशिये पर रख दिए हैं

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