एहसास
हमें लगा था शायद
अब नहीं बाक़ी एहसास
आज किस एहसास ने
फिर जगाये हैं एहसास
भटकने लगा है मन
कभी दूर तो कहीं पास
मानो शांत सरोवर में
तरंगें फिर आने लगीं पास
मचलती सी तरंगें अब
हलचल भी ले आईं हैं पास
मन ही तो है आख़िरकार
जागते ही रहेँगे ये एहसास
कुछ भी कहो चाहे तुम
इनमें है कुछ तो बात ख़ास
हमारा हमीं से सब चुराकर
ले आते हैं तुम्हारे पास
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