हर बात बस उलट चली है
अब कोई पुकारता नहीं है
बस आहटों में हम जी रहे हैं
चाहत अब नहीं मचलती
मोहब्बत का असर कम है
बस यूँ उदास बैठे रहते हैं
तमन्ना सब गुमशुदा सी हैं
दोस्ती, रहनुमाई लापता हैं
हर कोई खुद की फ़िक्र में है
ज़िन्दगी रँग बदलती नहीं
ज़िंदादिली बेरंग है अब यहाँ
रौशनी धूमिल हो चली है
वक़्त का सूरज ढल रहा है
ज़िन्दगी अब हम जीते नहीं
बस दस्तूर हम निभा रहे हैं
1 comment:
nice one.
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