Thursday, August 14, 2014

दस्तूर

समय ने सब बदल दिया
हर बात बस उलट चली है
अब कोई पुकारता नहीं है
बस आहटों में हम जी रहे हैं
चाहत अब नहीं मचलती
मोहब्बत का असर कम है
बस यूँ उदास बैठे रहते हैं
तमन्ना सब गुमशुदा सी हैं
दोस्ती, रहनुमाई लापता हैं
हर कोई खुद की फ़िक्र में है
ज़िन्दगी रँग बदलती नहीं
ज़िंदादिली बेरंग है अब यहाँ
रौशनी धूमिल हो चली है
वक़्त का सूरज ढल रहा है
ज़िन्दगी अब हम जीते नहीं
बस दस्तूर हम निभा रहे हैं