Saturday, August 23, 2014

जीते-जीते

भान है मुझे भी
हैं बाधाएं बड़ी
मेरे भी पथ में
सजग इन बातों से
किन्तु, बढ़ता हूँ मैं
अपनी ही लय है
जीवन की गति में
ज्यों चाहे देखो
प्रतिपल, प्रतिक्षण
नूतन में भी है
बसा हुआ प्राचीन
कितने आकर चले गए
मैं भी जीकर जाऊँगा
कुछ भेद यहाँ पाउँगा
कुछ अनजाना रह जाऊंगा
हर लय के संघर्ष में पर
अपना कर्तव्य निभाऊँगा
मैं जीते-जीते ही जाऊँगा

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