सैकड़ों फ़िदा हो गए
लाखो लोग बैठे हैं
इंतज़ार में बारी के
सभी अपनी-अपनी
तैयार क़ुर्बानी को
उसके रसूख़ के लिए
मौक़े की तलाश में
उसकी हर अदा पर
फ़ना होने की क़सम
करोड़ों ने खाई हैं
लेकिन हक़ीक़त में
नज़र कोई आया नहीं
हमको कोई ऐसा
जो फ़ितरत रखता हो
मुल्क़ के काम आने की
होड़ लगी हुई है यहाँ
चाहत में सभी को
अपनी-अपनी इधर
रोटियाँ सेंकने की
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