Saturday, August 16, 2014

आशावान

फिर सोच लो तुम
ये क्या कहते हो
मैंने कहा था तुमसे
क्राँति बस भ्रान्ति है
तुम नहीं मानोगे
फिर भी कहता हूँ
बदल दो अन्दाज़
मुझे डर लगता है
कल बदल जाओगे
शायद तुम भी कहीं
भरोसा तोड़ोगे मेरा
मैं मान चुका हूँ
यथास्थिति की बात
भ्रांति में ही जी लूँगा
ये भी सोचता हूँ
कोशिश करोगे तुम
इसलिए मौक़ा दूँगा
मेरे ज़ज्बात बदलो
आशावान भी रहूँगा

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