Tuesday, November 11, 2014

ख़ामोश खामोशियाँ

मन के कोलाहल से
बचाने आ जाती हैं
ख़ुद मेरी खामोशियाँ
तुम्हारी नज़र में
रास आती हैं मुझ को
अक्सर खामोशियाँ
खामोश नहीं हूँ मैं
फिर भी मेरे पास
आती हैं खामोशियाँ
तुम कुछ भी कह लो
बड़ी अज़ीज़ मुझ को
ये मेरी खामोशियाँ
ज़माने के शोर में
शोर करने लगती हैं
ख़ामोश खामोशियाँ

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