Saturday, November 22, 2014

आदमी कौन !

स्वयं के लिए
भरमाया औरों को
अवश्यमेव

शून्य में था वो
न किसी को खबर
अनजाना था

लोग ले आये
ज़मीन पर उसे
आसमान से

उसके नाम
सब सम्भव हुआ
मेरे खिलाफ़

अब बाशिंदा
ख़ुदा ज़मीन का है
आदमी कौन !


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