Udaya Pant
US Pant
Udaya Shankar Pant
..... all my names:)
Sunday, November 23, 2014
नवचेतन
फिर मिटेगा सघन तम
महकेगा नवचेतन मन
छायेगा उजियारा इतना
फिर से नव प्रभात बन
झोंके बन सुरभित पवन
आयेंगे फिर मेरे आँगन
छोटी सी ये बगिया मेरी
खिल उठेगी ज्यों उपवन
आशायें आकाँक्षा मिलकर
सबरस बरसेंगे मेरे भी मन
अहा सुहाना होगा कितना
दृष्य मनोहर सुन्दर बन
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