तुम्हारी भी विवशता
लेकिन अपने स्वार्थ से
बहक जाता हूँ मैं
ये कहता हूँ
कल से बदल जाऊँगा
फिर कल की कह कर
बहक जाता हूँ मैं
ये मानता हूँ
लाखों हैं मुझ जैसे
अपने ही घमंड से
बहक जाता हूँ मैं
मैं पहचानता हूँ
तुम्हारे चरित्र को
चिकनी-चुपड़ी बातों से
बहक जाता हूँ मैं
ये जानता हूँ
चार दिन है ज़िन्दगी
इसकी चकाचौंध देख
बहक जाता हूँ मैं
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