इस शहर की सर्द शाम की
सुनसान राहों में चलते यहाँ
हल्की सी चलती सर्द हवा भी
बड़ा ही शोर सा मचाती है
हर पदचाप दिलाती है मानो
किसी के आने का एहसास
पीछे मुड़कर देखता हूँ तो
वही अनजान चेहरे नजर आते
वही गलियों के सन्नाटे हैं
फिर क़दम बढ़ते जाते हैं
अपनी मंजिल की तलाश में
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