फिर तलवारें निकलेंगी
मज़हबी फसाद भड़केंगे
आरोपों प्रत्यारोपों के
वार पर वार भी होंगे
चन्द लोग ही मिलकर
करोड़ों को भड़काएंगे
उभयपक्ष में ज़बरदस्त
प्रतिस्पर्धा के पल होंगे
और इन सब के बीच
गरीब लोग मारे जायेंगे
सियासी और मज़हबी
फिरकापरस्तों को हम
यों कब तक बढ़ावा देंगे
मंदिर-मस्जिद की जगह
स्कूल क्यों नहीं बनायेंगे?
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