धर्म के नाम पर कोई सियासत मत करना
खुद भी तुम जियो और हमें भी जीने देना
कहीं हो न जाए चूक कोई भी इस बारी
लगने तुम नहीं देना कोई कलंक इस बारी
वतन की बात जब आये तो फिर क्या है
हिन्दू या मुसलमान हो फर्क दोनों में कैसा है
साथ में हम खेले थे साथ हम बड़े हुए हैं
अमन के रास्ते हमने सभी मिलके बनाये हैं
जब जब भी सियासत हुई धर्म पर भारी है
हमीं ने ही यहाँ अमन की स्थिति उबारी है
मोहब्बत की दिलों में दुनियां हम संभाले हैं
अमन का पाठ ही हमको मज़हब से है लेना
धर्म के नाम पर कोई सियासत मत करना
8 comments:
अमन का पाठ पढाये किसको, सब तो बुत बने है कुछ धर्म के ठेकेदारो ने ठेका लिया है बस उनकी चलती है...बाकी तो सियासत है हर जगह...
सुन्दर रचना!
इस बार शायद बुरे इरादे सफल नहीं हो पायेंगे | कामना भी ऐसी ही है |
gahri rachna
aaj dharm garm hawa ka jhonka hai.
naam lane v pahchan dene mai darta hai aadami.
mandir, masjid ke fer mai ulajh kar
marta hai aadmi.
aam ki amrai mai vo salma ke sang jhoolna
ik-dusare ki mehdi par khush hokar reejhna,
siyasat ki andhi duar mai bhoola hai aadmi
garm hawa ke jhike se kahta aadmi
ab bas bhu karo khoob ho liya khel
nafrat ka.
ab to bas prem ke liye tarasta hai aadmi....
na mai mandir, na mai masjid, na kabe kailash mai
............me to bande tere paas mai
s/sri Prati, anupama,hem, ashaji dhanyabad
...ummeed zindagi ka sabse khoobsurat ehsas hai! baaki sab kaal chakra hai:)
VERY WELL SAID SIR ?
I WISH ALL OUR PRAYERS ARE LISTENED.
ANIL SRIVASTAVA
@anil yes judgment seems good and prayers are heard:)
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