मैं पी तो रहा जरुर था मगर
प्यास शायद ही मुझे थी कोई
मैं जिए तो जा रहा था मगर
मेरे पास वजह न थी कोई
मैं चलता भी रहा था ज़रूर
मेरी मंजिल पास न थी कोई
मेरे पास जाने कितने लोग थे
मुझे एहसास तक न था कोई
मैं बहुत कुछ चाहता था पाना
यहाँ भी सीमा नहीं थी कोई
मैं होशो-हवास में था मगर
मेरी हर साँस थी मानो खोई हुई
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