खुदा बनने चला था जब वो
मंजिल का पता मालूम न था
नेकी का दौलतमंद है खुदा
बस इतना उसे मालूम था
टेढ़े मेढ़े रास्तों से गुज़रते
उसका कुछ पता भी न था
नेकी की राह थामी उसने
लगा दूसरा रास्ता न था
खुदा तो न बन सका वो
पर बन गया इन्सान था
खुदी में ही है छुपी खुदाई
ज़रूर अब उसे मालूम था
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