Wednesday, May 23, 2012

वाष्प

बादल के कोने से टपकती सी बूंद पूछ रही थी मुझसे कुछ और करो अभी तुम इन्तज़ार सूरज की गर्मी ने दिखाया रुतबा अपना बूंद वाष्प बन उड़ गई वो भी देखती रह गई हम भी देखते रह गए

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