आज फिर वो चुप हैं
कोई बड़ा पैगाम आने वाला होगा
ज़रूर लावा बन रहा होगा
अब हमें भी शायद
निपटने को ज्वालामुखी से
तैयारी में में लगना होगा
हवा भी गुम है आज यहाँ
कोई पत्ता तक नहीं हिलता
कोई तूफ़ान आने वाला होगा
सागर तट कितने शांत हैं
समंदर की इन शांत लहरों में
बड़ा उफ़ान आने वाला होगा
एक हम हैं बोले जा रहे थे
अपनी कब्र आप खोद बैठे
यहीं कब्रिस्तान बनने वाल होगा
जान बूझकर कैसे कह बैठे
कहाँ बवंडर में फंस गए
दिल लहू लुहान होने वाला होगा
आज वो फिर चुप हैं
बड़ा इम्तहान आने वाला होगा
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