Wednesday, May 30, 2012

बड़ा इम्तहान

आज फिर वो चुप हैं कोई बड़ा पैगाम आने वाला होगा ज़रूर लावा बन रहा होगा अब हमें भी शायद निपटने को ज्वालामुखी से तैयारी में में लगना होगा हवा भी गुम है आज यहाँ कोई पत्ता तक नहीं हिलता कोई तूफ़ान आने वाला होगा सागर तट कितने शांत हैं समंदर की इन शांत लहरों में बड़ा उफ़ान आने वाला होगा एक हम हैं बोले जा रहे थे अपनी कब्र आप खोद बैठे यहीं कब्रिस्तान बनने वाल होगा जान बूझकर कैसे कह बैठे कहाँ बवंडर में फंस गए दिल लहू लुहान होने वाला होगा आज वो फिर चुप हैं बड़ा इम्तहान आने वाला होगा

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