Tuesday, November 13, 2012

दीवाली

पटाखों की धूम धड़ाम में
मानो कहीं खो रहा सा था
दीप प्रकाश उत्सव दीवाली
हर तरफ प्रतिद्वंदिता सी थी
और ज्यादा शोर मचाने की
ये कैसी विचित्र है ख़ुशहाली
मिलने मिलाने में बस उपहार
आदान प्रदान का क्रम बढ़ा है
देखा-देखी हुई बहुत खर्चीली
बहुतों को अब नया शौक़ है
चकाचौंध में भूल जाने का
किसी की अँधेरे में दीवाली

1 comment:

babanpandey said...

so fas as i think ... deepawali.. is a festival to show ones richness