ये भली भाँति मालूम था मुझे
वो तसल्ली दे तो रहे थे मुझे
किन्तु मंतव्य कुछ अलग था
और उनकी दृष्टि में कदाचित
मेरी वह पीड़ा उचित ही थी
स्वाभिमान व आत्मसम्मान
उनके स्वयं के लिए बेमानी थे
औरों को व्यावहारिक होने के
पाठ पढ़ाना उनको प्रिय था
अपनी ही दृष्टि में उन्हें अवश्य
इससे इतर आचरण का दंड
स्वाभाविक एवं न्यायोचित था
मानता हूँ उनका एक दृष्टिकोण था
किन्तु औरों के दृष्टिकोण के प्रति
उन्हें भी संवेदनशील होना ठीक होता
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