Wednesday, March 20, 2013

मैं क्षण-भंगुर वह कालजयी

वो हमेशा मेरे पल पल में बसा है
उसका मेरा साथ उम्र से ज्यादा है
जन्म मृत्यु से पहले वही आता है
मेरी और उसकी साझा तदवीरें हैं
हमारी तकदीरें एक - दूसरे की हैं
उसके बिना मेरा वज़ूद अज्ञात है
हमको एक दूसरे से फ़र्क़ पड़ता है
मेरी कोशिश से उसकी कामयाबी है
उसकी हर तरक्क़ी भी मेरे लिए है
मेरा हक़ भी उसके होते ही बनता है
मेरी ज़िम्मेदारी उसके लिए भी है
हम दोनों ही एक दूसरे पर निर्भर हैं
लोग भी हमें साथ जोड़कर देखते हैं
हमारी क़िस्मत भी साथ ही जुड़ी हैं
उससे ही मैं हूँ और मुझसे ही वो है
लेकिन मैं बाद में मुझसे पहले वो है
मेरी सीमायें हैं पर वो असीमित है
हमारे हर रिश्ते का बंधन अटूट है
हमारा नाता बहुत अपनेपन का है
मैं क्षण-भंगुर पर वह कालजयी है
ये सम्बन्ध जन्म-जन्मान्तर का है
मैं उसका ही हूँ और वह मेरा देश है

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