Monday, May 26, 2014

तुम्हारे लिए

हक़ीक़त की मुश्किलें
ख़्वाबों की दुनियाँ से
कितनी अलग हैं
शुरुआती दौर के
सपने देखना दिखाना
कितना आसान है
ये एहसास होता है
मुझे भी अब
फिर भी कोशिश रहेगी
सपनों सी न सही
लेकन फिर भी ज़रूर
सुन्दर होगी दुनियाँ
सपने देखता रहूँगा मैं
दिखाने के बजाय
पूरा करने की लिए
अपने लिए न सही
तुम्हारे लिए


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