Monday, May 26, 2014

अपेक्षा से पहले

आसमाँ मुझे बुलाते हैं
लेकिन मुझे उनसे क्या
मैं ज़मीन पर भला हूँ
पहचानता जो हूँ मैं
यहाँ की एक-एक चीज
अक्सर लोग मुझे
अच्छे लगते हैं
वो भी शायद सोचते होंगे
मेरे बारे मैं भी अच्छा
न सोचें तो न सही
मुझे बस अज़ीज़ है
मेरी अपनी अच्छाई
तभी अच्छे लगते हैं
अक्सर लोग भी
सिर्फ सोच से नहीं
व्यवहार से होती है
यहाँ पहचान अपनी
अच्छे भले लोगों की
बुराई की जीत भी
क्षणिक तो हो सकती है
पर अच्छाई जीत जाती है
अपेक्षा से पहले ही


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