Tuesday, May 27, 2014

अन्यमनस्क

कोई महफ़िल क्या सजेगी
आज गुमसुम से खयाल हैं
अन्यमनस्क सा हर कोई
शायद समय के सवाल हैं
सूरज ने किया बंद उधार
चाँद की रौशनी भी कम है
बारिश शायद कहीं खो गई
हर ओर सूखे का मौसम है
सभी पानी को मोहताज़ हैं
हर आँख फिर भी नम है
कोई अज़ीज़ दूर जा रहा है
रोकने वाले उसे अब कम हैं
सब अपनी ही धुन में खोए
खुद को पर समझते कम हैं

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