मेरे कानों में मंडराता
कोई पुरानी सी धुन का
हमेशा गाये जाने वाला
शब्द अब अस्पष्ट से हैं
अनाथ सा होता वो गीत
जो कभी था अमर संगीत
विलुप्त होता और जिसका
श्रेय लेने-देने वाला नहीं
कैसे संभालोगे धरोहर
प्रचलन में समाप्तप्राय
तथाकथित अमर गीत
गुनगुनाने को ही सही
मेरा बिसरा सा मधुर गीत
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