Monday, January 26, 2015

वाह वतन

फ़ख्र की बात है
लाखों ग़म सही
तो करोड़ों खुशियाँ हैं
हज़ार हैं मसले
लेकिन फिर भी
इत्तिहाद काफ़ी है
ख़ूब संजोकर रखा है
वतनपरस्तों ने
वाह वतनपरस्तो
वाह वतन

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