Tuesday, January 20, 2015

मिट्टी के सरमाये

कितने क़िले फ़तह कर लिए तुमने
मन में निराशा के बादल छाए क्यों हैं
दौलतें सब समेट क्या समझ पाये हो
आज भी ये मिट्टी के सरमाये क्यों हैं
So many forts won over by you
Why clouds of pessimism within
Collecting all riches of World
Why still exist capital of clay


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