सब कुछ बदल रहा है
क़रीब से देखता हूँ
तो ऐसा लगता है
नहीं बदला है कुछ
यहाँ आज भी
मुखौटे लगा लिए हैं
बस कुछ लोगों ने
लीपा-पोती हुई है
कई प्रकार की
पुरानी मानसिकता है
स्वभाव कहाँ बदले हैं
जाति, धर्म, वर्ग
इनके अंतर्द्वंद
और इनके संघर्ष
सब काफी कुछ वही है
निष्कर्षतः आज भी
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