दिन भर चल रोशन सब कर
यूँ शाम को सूरज ढलता है
चाँद भी अगर रोशन कर दे
सूरज की कोई परवाह नहीं
हो जाये यहाँ जब जो भी हो
परवाह नहीं सब चलता है
कोई कुछ कह कुछ कर ले
ऐसा ही सब कुछ मिलता है
खाना न मिले बस पीना हो
कुछ न किसी को खलता है
हर दिन सपने संघर्ष भी हैं
इनसे यहाँ जीवन चलता है
1 comment:
umda bhaav
Post a Comment