Thursday, January 29, 2015

चलता है

बस एक है क्रम हर दिन का
दिन भर चल रोशन सब कर
यूँ शाम को सूरज ढलता है
चाँद भी अगर रोशन कर दे
सूरज की कोई परवाह नहीं
हो जाये यहाँ जब जो भी हो
परवाह नहीं सब चलता है
कोई कुछ कह कुछ कर ले
ऐसा ही सब कुछ मिलता है
खाना न मिले बस पीना हो
कुछ न किसी को खलता है
हर दिन सपने संघर्ष भी हैं
इनसे यहाँ जीवन चलता है