प्रश्नों की बौछार तुम
अपने ही मंतव्य से
ये भी जानते हो
तुम भी भागीदार हो
इनके उठने के पीछे
उत्तर जो भी होंगे
सवाल साझा से हैं
कुछ सवाल हमारे भी थे
उत्तर नहीं दोगे तुम
और अगर दोगे भी
तो सियासत से प्रेरित
ये जानते हैं हम
हम अब शायद
ये भी समझने लगे हैं
सियासत अब एक
सेवा नहीं व्यवसाय है
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