फिर भी हुनर आज़माना चाहते हैं
चलिए जो होगा वो देखा जायेगा
अपनी तरफ़ से कोशिश करते हैं
लोगों की नज़र में बेवक़ूफ़ी सही
धागे से पहाड़ खींच लेना चाहते हैं
जो मिला तो पहाड़ होगा अपना
न मिला तो धागा खोना जानते हैं
वक़्त के नाम ज़िन्दगी वो करते हैं
जो ज़िन्दगी के हुनर नहीं जानते हैं
कोशिश कर के हम अब भी इधर
पत्थरों पर फ़ूल खिलाना चाहते हैं
No comments:
Post a Comment