इस दिल में बसी वही मूरत है
वो हमसे जुदा हम खुद से जुदा
नहीं प्यार की कोई ग़ुरबत है
ये इश्क़ की ऐसी दौलत है
कहाँ मेरी और ज़रूरत है
मरहम भी यहाँ हैं दुखा जाते
ज़ख्मों की ऐसी शरारत है
वो लाख करें कोशिश अपनी
यहाँ बढ़ती जाती मोहब्बत है
आँखों में उन्हीं की सूरत है
इस दिल में बसी वही मूरत है
No comments:
Post a Comment