आगन्तुक नदारद रहते
अपने भी कम आते-जाते थे
लोग हैरान थे देख कर
अचानक भीड़ हो गई थी
कई तरह के लोग थे
उनके वर्ताव, वेश-भूषा
कौतूहल सा जगा रहे थे
तहकीकात से पता चला
सभी आपदा-सहायक थे
कोई सरकारी कोई अन्य
मीडिया का भी जमावड़ा
बच्चों को उत्सव सा लगा
कई शोध से प्रेरित थे
कुछ दवाइयां और भोजन
कुछ राहत सामग्री देते
वीडिओ, फोटो और सेल्फी
मानो प्रमुख मंतव्य थे
कुछ शाम तक चले गए
अन्य दो तीन दिन बाद
स्थानीय लोगों को मिले
ढेर सारे भाषण , सलाह
अब नेता जी ने आकर
ढेरों आश्वासन देकर
रही कसर पूरी कर दी
गाँव वाले अचंभित नहीं
ये तो पहाड़ों में होता है
लोगों के जाते ही मानो
कुछ आवश्यक नहीं होता
बिजली, पानी, सड़क
फिर से हैं भी नहीं भी हैं
अख़बार वाले और मीडिया
टिपण्णी, तस्वीरों से
बयां करते हैं सब ठीक है
राहत कार्य संपन्न हुआ
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